आश्चर्य की बात तो यह है कि सिर्फ गांव में रहने वाले ही नही बल्कि कई ऑफिसों में भी इसी तरह से हाथों के इशारों से ही कार्य चलता है। बाहरी लोग तो यहां कम ही आते हैं, इसलिये स्थानीय लोग ही यहां की सारी व्यवस्था संभालते हैं।इस सांकेतिक भाषा को काटा कोलोक कहा जाता है। यह सांकेतिक भाषा कई सौ साल पुरानी है।
इस गांव के अधिकतर लोग बोलने और सुनने में सक्षम नही हैं यहां यह समस्या सामान्य से 15 गुना अधिक है।यहां जन्म से ही बच्चे सुनने और बोलने की बीमारी से ग्रस्त होते हैं। यहां कि भौगोलिक स्थिति को इसका कारण बताया गया है।
यहां लड़कियों को लुभाने के लिए लड़कियां करती है गंदे काम
कॉलेज की लड़कियों ने लोगों की मदद के लिए उतारे कपड़े
शारीरिक संबंधो के दौरान लड़की ने किया ऐसा काम जाना पड़ा जेल..!
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