यह भी पढ़े : स्त्रियां क्यों लगाती हैं मांग में सिन्दूर, जानिए क्या है इसके पीछे का सच
यहां कि मान्यता और भक्त कहते है कि यह घाटी एक विशालकाय सांप का रूप है। इस सांप का वध भगवान शिव ने किया था। जिस स्थान पर मंदिर है वहां शिवलिंग पर हर बारह साल में भयंकर आकाशीय बिजली गिरती है। बिजली गिरने से मंदिर का शिवलिंग खंडित हो जाता है। यहां के पुजारी खंडित शिवलिंग के टुकड़े एकत्रित कर मक्खन के साथ इसे जोड़ देते हैं। कुछ ही माह बाद यह शिवलिंग एक ठोस रूप ले लेता है ।
भगवान शिव बिजली से किसी जान धन को नुकसान नही पहुचाना चाहते थे ! भोलेनाथ लोगों को बचाने के लिए इस बिजली को अपने ऊपर(शिवलिंग) गिरवाते हैं। इसी वजह से भगवान शिव को यहां बिजली महादेव के नाम से जाना जाता है। भादों के महीने में यहां मेला भी लगा रहता है। कुल्लू शहर से बिजली महादेव की पहाड़ी लगभग सात किलोमीटर है। शिवरात्रि पर भी यहां भक्तों की बहुत भीड़ उमड़ती है।
यह भी पढ़े : एक वरदान के लिए लड़कियां इस मंदिर में चढ़ाती है लकड़ी के लिंग
إرسال تعليق