कई लोग दुकान, मॉल और दूसरों के घर से चीजें चोरी-छिपे उठा लेते हैं। ऐसा करना उनकी आदत में शुमार हो जाता है। लोगों को इस बारे में पता चलने पर वे ऐसे लोगों से नफरत करने लगते हैं। कई बार तो उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ती है, लेकिन हर इंसान चोर हो ये जरूरी नहीं है। दरअसल उनमें ये चोरी की भावना एक बीमरी के कारण हो सकती है। आज हम आपको चोरी की इसी आदत को बढ़ावा देने वाली बीमारी के बारे में बताएंगे।
1. इंसान के मन में चल रहीं बातों व आवेग को उसके मस्तिष्क में मौजूद ओपिओइड सिस्टम नियंत्रित करता है। जब इसमें विचारों को दायरे में रखने की प्रक्रिया प्रभावित होती है तब इंसान अपनी भावनाओं पर अंकुश नहीं रख पाता है।
2. व्यक्ति के दिमाग में सेरोटोनिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर का स्तर कम होने से इंसान अपने पर काबू नहीं पा पाता है। भावनाओं के इसी अनियंत्रण को क्लेप्टोमेनिया नामक बीमारी की वजह कहा जाता है।
3. ऐसी बीमारी होने पर व्यक्ति के मन में चोरी करने की भावना जागती है। ऐसे लोग ज्यादातर सार्वजनिक स्थानों में चोरी करते हैं। इससे उन्हें उस वक्त् आत्म संतुष्टि का एहसास होता है।
4. क्लेप्टोमेनिया का शिकार लोगों में चोरी करने महज भावना होती है। ऐसे लोग अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए कुछ नहीं करते हैं। चोरी की आदत बुरी है इस बात का भी ज्ञान उन्हें नहीं होता है।
5. ऐसे व्यक्ति जब तक कहीं से कोई समान बिना बताएं उठा न लें, तब तक उनका मन अशांत रहता है। उन्हें अजीब-सी उलझन महसूस होती है। वहीं चोरी के बाद वे बिल्कुल रिलैक्स हो जाते हैं। घटना के कुछ देर बाद वे चोरी की बाद से डरने भी लगते हैं।
6. इस बीमारी का शिकार हुए लोगों में बेचैनी, अनिद्रा और उलझन आदि की भावनाएं देखने को मिलता है। ऐसे लोग बहुत जल्द डर भी जाते हैं। उन्हें हमेशा कोई न कोई बात परेशान करती रहती है।
7. क्लेप्टोमेनिया नामक बीमारी होने की प्रमुख वजह व्यक्ति् के दिमाग में भावनाओं का असंतुलन है। इसके अलावा ऐसे लोगों के मस्तिष्क में डोपेमिन नामक केमिकल का ज्यादा रिसाव होता है। ये रसायन व्यक्ति को खुशी का एहसास कराता है। जब व्यक्ति चोरी करता है तो उसे खुशी महसूस होती है।
8. इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को खाना-खाने की भी इच्छा नहीं होती है। ये बाइपोलर डिसऑर्डर, एंग्जायटी डिसऑर्डर और ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर के भी शिकार होते हैं।
9. व्यक्ति को इस बीमारी से छुटकारा दिलाने के लिए तुरंत किसी मनोचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। इस रोग को सही परामर्श से ही दूर किया जा सकता है।
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