शोधकर्ताओं ने कहा, धमनियों की आंतरिक दीवारों पर वसा के जमाव और बालों के सफेद होने की जैविक प्रक्रिया में काफी समानताएं होती हैं। उम्र बढ़ने के साथ ही दोनों में बढ़ोतरी होती है। बिगड़ा हुआ डीएनए, दाहक तनाव, सूजन, हार्मोन संबंधी परिवर्तन और कार्यशील कोशिकाओं में उम्रदराजी के लक्षण जैसी चीजें इन प्रक्रियाओं में समान रूप से मौजूद रहती हैं।
उन्होंने कहा, धमनियों में सख्ती (आर्टरिओस्क्लेरोसिस) का एक चरण ऐसा होता है जिसमें धमनियों की आंतरिक दीवारों पर वसा जमने लगती है। इस चरण को एथेरोस्केलेरोसिस कहते हैं। इससे धमनियों में रक्त प्रवाह का मार्ग संकरा हो जाता है।
मिस्र की काहिरा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं सैकड़ों वयस्क लोगों का अध्ययन करने के बाद यह नतीजा निकाला है। इन सभी प्रतिभागियों की धमनियों की अंदरुनी स्थिति की सीटी कोरोनरी एंजियोग्राफी तकनीक के जरिये जांच की गई थी। ताकि यह पता लग सके कि इन्हें दिल की बीमारी तो नहीं है अथवा इनके दिल की प्रमुख रक्त वाहिनियों में कोई क्षतिग्रस्त तो नहीं हैं।
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