चाणक्य के अनुसार इन परिस्थितियों में मनुष्य को बेशर्मी जरूर दिखानी चाहिए!


मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चाणक्य को कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में जाना जाता है। वह इतिहास के सबसे विद्वान व्यक्तियों में से एक है। आज सदियाँ गुजर गई, लेकिन उनके द्वारा कहीं गई बातें आज के समय में भी उतनी ही प्रासंगिक है, जीतनी उस समय थी। चाणक्य ने उस दौर में बताया था कि कुछ मामलों में बेशर्मी जरूरी होती हैं। वैसे तो आज के समय में किसी को बेशर्म बोलना यानी उसकी बेइज्जती करना होता है, लेकिन चाणक्य के अनुसार कुछ परिस्थितियाँ ऐसी भी होती है, जहाँ मनुष्य को बेशर्म बन जाना चाहिए....

खाने पीने के मामलों में
चाणक्य के अनुसार मनुष्य को खाने पीने के मामले में कभी संकोच नहीं करना चाहिए वरना आपको भूखे रहना पड़ सकता है। यदि आप कही बाहर जाएँ तो बिंदास बेशर्म होकर खाइये।

गुरु से सवाल पूछने में
कई विद्यार्थी अपने गुरु से सवाल पूछने ने शर्म महसूस करते है, उन्हें लगता है कि सब मुझ पर हसेंगे। हालाँकि ऐसा करने से नुकसान उन्हीं का होता है और वे अज्ञानी रह जाते हैं। इसलिए चाणक्य ने कहा है कि विद्यार्थी को गुरु से सवाल पूछने में शर्म नहीं करना चाहिए।

धन से जुड़े मामलों में
चाणक्य ने कहा है कि मनुष्य को धन से जुड़े मामलों में बेशर्म होना चाहिए। अगर आपने किसी को धन उधार दिया है तो उससे वापस धन मांगने में शर्म नहीं करना चाहिए। यदि आप अपने ही पैसे वापस नहीं मांग पा रहे हैं तो आपको हानि उठानी पड़ सकती है। इसलिए अपने पैसों के लिए बेशर्म बनिए।

योग्य को ही दें धन
चाणक्य के अनुसार अपना धन उन्हीं को दें, जो योग्य है, अयोग्य पर अपना धन व्यर्थ ना करें। अगर कोई अयोग्य व्यक्ति आपसे धन की मांग करता है तो शर्म के मारे उसे धन उधार न दे, बल्कि बेशर्मों की तरह मना कर दे।

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