लेकिन, सेक पीछे की असलियत हामरी इस बेतुकी समझ से कई कुछ और ही है। दरअसल नासा की एक रिपोर्ट के अनुसार ‘आसमान में बनने वाली इस सफेद लकीर को कंट्रेल्स कहते हैं। कंट्रेल्स भी बादल ही होते हैं, पर वो आम बादलों की तरह नहीं बनते। ये हवाई जहाज या रॉकेट से बनते हैं और काफी ऊंचाई पर ही बनते हैं’।
जमीन से करीब 8 किलोमीटर ऊपर और -40 डिग्री सेल्सियस में इस तरह के बादल बनते हैं। Airplane या रॉकेट के एग्जॉस्ट (फैन) से एरोसॉल्स (एक तरह का धुआं) निकलते हैं। जब आसमान की नमी इन एरोसॉल्स से साथ जम जाती है, तो कंट्रेल्स बनते हैं।
ये कंट्रेल्स कुछ ही समय में गायब हो जाते हैं। जैसे ही विमान जाता है ये भी लुप्त हो जाते हैं। ये कंट्रेल्स लम्बी लाइन होती है, जो आसमान में Airplane जाने के बाद तक दिखती हैं। इनके बनने का कारण हवा में नमी होती है। जरूरी नहीं है कि वो वहीं दिखे जहां से विमान गुजरा था।
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