1. जब दो ब्राह्राण यानि दो बुद्धिमान लोग आपस में बात कर रहें हों तो उनके बीच में नही बोलना चाहिए बल्कि दोनों के बीच होने वाली बातों को सुनकर उन्हेें याद रखना चाहिए।
2. जब कोई ब्राह्राण अपनी तपस्या के दौरान अग्नि के पास बैठकर साधना में लीन हो l तो उसके बीच में नहीं आना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से उसकी पूजा भंग हो सकती हैं।
3. जब भी कहीं किसी स्थान पर पति-पत्नी आपस में बात कर रहें हो तो हमें उनके निजी पलों में बाधा नही डालनी चाहिए। ऐसा करने पर पति-पत्नी के बीच एकांत भंग हो जाता है।
4. जब भी कभी मालिक और उसके नौकर के बीच बातचीत हो रही हो तो किसी दूसरे को बीच में नहीं आना चाहिए। ऐसा करने से उनके बीच होने वाली बातचीत में बाधा आयेगी। आप फिजूल में मालिक का शिकार बनेंगे।

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