सनातन धर्म के त्रिदेवों में से एक भगवान शिव को आदिदेव भी कहा जाता है। आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम 'आदिश' भी है। देवाधिदेव महादेव ही एक ऐसे भगवान हैं, जिनकी भक्ति के बिना मोक्ष संभव नहीं है।
वहीं अत्यंत भोले होने व तुरंत प्रसन्न हो जाने के चले हर कोई उनकी भक्ति करते हुए उन्हें जल्द प्रसन्न भी करना चाहते हैं, इसमें चाहे इंसान हो, राक्षस हो, भूत-प्रेत हो अथवा देवता हो।
भगवान शिव को अगर आप चावल के मात्र 4 दाने भी भाव से अर्पित करें तो भी वे प्रसन्न होकर वरदान देते हैं। भोलेनाथ को एक कलश शीतल जलधारा भी प्रसन्न कर देती है। वहीं बेलपत्र से भी मनचाहा वरदान पाया जा सकता है अगर वह संपूर्ण भाव से चढ़ाया जाए। एक धतूरा, एक आंकड़ा, एक बेर, एक संतरा भी उन्हें प्रसन्न कर सकता है। दूध, दही, शकर, घी, शहद और गन्न का रस भी श्रद्धानुसार अर्पित कर शिव से मनचाहा वरदान पाया जा सकता है।
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