हालांकि इस योजना का ऐलान 2018-19 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किया गया था। सरकार इस योजना से देश में बिजली की कमी को तो दूर करेगी ही साथ ही, बंजर पड़ी जमीन का इस्तेमाल भी किया जा सकेगा। खेतों में सौलर बिजली उत्पादन से बिजली की कमी तो दूर होगी ही, साथ ही उस बिजली को बेचकर किसान अतिरिक्त आमदनी भी कर सकते हैं। कुसुम योजना के लिए सरकार किसानों को सब्सिडी के रूप में सोलर पंप की कुल लागत का 60% रकम देगी।
हमारे देश में खेती वर्षा के भरोसे है। बहुत सी जगहों पर डीजल पंपों से और बिजली के पंपों से सिंचाई होने लगी है। लेकिन हर जगह बिजली की पहुंच न होने के कारण सभी जगहों पर बिजली के पंपों से सिंचाई मुमकिन नहीं है और बिजली की सही आपूर्ति नहीं होना भी एक बड़ी समस्या है।
कुसुम योजना के जरिये किसान अपनी जमीन में सौर ऊर्जा पंप लगाकर अपने खेतों की सिंचाई कर सकते हैं। इस योजना में किसान अपनी बंजर जमीन पर सोलर पैनल लगाकर सिंचाई के साथ बिजली उत्पादन भी कर सकते हैं। खास बात ये है कि सौलर पैनल से तैयार अतिरिक्त बिजली को किसान बेच भी सकते हैं।
कुसुम योजना के तहत सोलर पंप लगाने के लिए कोई किसान, किसानों का समूह , सहकारी समितियां, पंचायत आवेदन कर सकती है। सोलर प्लांट लगवाने के लिए 50,000 रुपये प्रति मेगावाट + जी.एस.टी की दर के साथ आवेदन बिजली विभाग में जमा करना होगा। उत्तर प्रदेश के किसान यूपी सरकार की वेबसाइट www.upagripardarshi.gov.in पर आवेदन कर सकते हैं।
इस योजना के लिए पूरे खर्च को 3 भागों में बांटा गया है ताकि अधिक से अधिक किसान इससे जुड़ सकें। पहले भाग के तहत केंद्र सरकार कुल खर्च का 60 फीसदी हिस्सा सब्सिडी के तौर पर देगी। 30 फीसदी की रकम बैंक से लोन के तौर पर प्राप्त कर सकेंगे। केवल 10 फीसदी की रकम किसान को खुद लगानी होगी।
कुसुम योजना के लाभ
- किसानों को कुसुम योजना से बिजली की बचत होगी।
- खेतों को सिंचाई के लिए बिजली का इंतजार नहीं करना होगा।
- 20 लाख सिंचाई पंपों को सौर ऊर्जा से चलाने की व्यवस्था की जाएगी।
- डीजल की खपत और प्रदूषण पर कंट्रोल होगा।
- किसानों को लागत का केवल 10 फीसदी ही खर्च करना होगा।
- बेकार पड़ी जमीन का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- किसान आय के लिए अपनी अतरिक्त बची हुई ऊर्जा को बेच सकते हैं।
एक टिप्पणी भेजें