हालांकि मूर्ख दिवस एक मान्यता प्राप्त छुट्टी का दिन और कोई धार्मिक दिन नहीं है, लेकिन यह दिन पूरी दुनिया में मनाया जाता है इस दिन लोग एक दूसरे को जोक्स सुनाकर और उन्हें मूर्ख बनाकर एंजॉय करते हैं, सेलिब्रेट करते हैं। आपने यह जरुर सोचा होगा कि इस पागलपंती वाले दिन की शुरुआत कहां से हुई, किसने की और क्यों की। तो आइए आज हम आपकी इस जिज्ञासा को खत्म करते हैं। हालांकि इस दिन के बारे में अभी तक कोई सत्य कहानी नहीं है, लेकिन इसके पीछे बहुत सारी कहानियां हैं जो अप्रैल फूल दिवस के इतिहास को बताती है। आइए जानते हैं इस रोचक दिवस का इतिहास और इस दिन से जुड़े रोचक तथ्य।
कुछ का मानना है कि स्प्रिंग सीजन में बदलाव के आने के बाद जो महीना आता है उसके पहले दिन को अप्रैल फूल के नाम से जानते हैं। ठंड का अंत और आने वाले मौसम स्प्रिंग की शुरुआत के अवसर पर ये दिन मनाया जाने लगा। कुछ लोगों का मानना है कि 1582 में नए कैलेंडर का आविष्कार हुआ। इसके पहले के कैलेंडर के अनुसार एक अप्रैल से नए साल की शुरुआत होती थी। इस दिन लोग एक दूसरे को जोक्स भेज कर और उनके साथ प्रैंक करके उन्हे बेवकूफ बनाते थे। इस गेम में जब सामने वाला बेवकूफ बन जाता है तो उसे अप्रैल फूल के नाम से संबोधित किया जाता है। तभी से ये ट्रेंड पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गया।
यूरोप देशों में पुराने समय में 1 अप्रैल के दिन हर मालिक नौकर की भूमिका अदा करता और नौकर मालिक बनकर हुकुम चलाता था। नौकर बने मालिक को उसका हर आदेश का पूरा करना पड़ता था। वह मालिक बने नौकर के लिए खाना बनाता, कपड़े धोता, और उसके बताए अन्य सभी कार्य विनम्रता पूर्वक करता था। इस बेवकूफी भरे हरकतों की वजह से इसी दिन से लोग एक दूसरे को बेवकूफ बनाने लग गए। फ्रांस के नारमेडी मे 1 अप्रैल को एक अनोखा जुलूस निकलता था, जिसमें एक घोड़ा गाड़ी में सबसे मोटे आदमी को बैठाकर सारे शहर में घुमाया जाता ताकि उसे देखते ही लोग खिल-खिलाकर हंस पड़े और फिर नाचते गाने लगे।
एक टिप्पणी भेजें