..तो इस वजह से फिल्‍म शोले का क्लाइमैक्स दोबारा शूट हुआ था


सेंसर बोर्ड एक बार फिर चर्चा में है। पहलाज निहलानी के चीफ बनने के बाद बोर्ड लगातार अपने ‘संस्‍कारी तेवर’ के लिए सुर्ख‍ियों में रहा है। ताजा मामला ‘लिपिस्‍ट‍िक अंडर माय बुर्का’ का है। बोर्ड ने फिल्‍म को सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया है। इसमें अश्‍लीलता, धार्मिक भावनाएं, द्वि‍अर्थी संवाद और महिलाओं के चित्रण पर सवाल उठाए गए हैं।


वैसे, सेंसर की कैंची हमेशा से फिल्ममेकर्स के लिए दुखदाई ही रही है। आप जानते हैं साल 1975 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘शोले’ पर तो सेंसर की गाज कुछ यूं गिरी कि बेचारे फिल्ममेकर्स को वो सीन तो दोबारा शूट करना पड़ा था।


असल में रमेश सिप्‍पी साहब ने फिल्‍म के अंत में विलेन गब्‍बर को ठाकुर के पैरों तले मरते दिखाया था। लेकिन जब फिल्म सेंसर बोर्ड के पास सर्टिफिकेशन के लिए, तो बोर्ड ने कहा कि फिल्म में काफी हिंसा है। इसलिए फिल्म के निर्देशक रमेश सिप्पी को फिल्म का क्लाइमैक्स दोबारा शूट करना पड़ा। दोबारा शूट में फिल्म में दिखाया गया कि ‘ठाकुर’, ‘गब्बर’ को पुलिस के हवाले कर देता है। 

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